दिहाड़ी मजदूर बना वाशिंग पाउडर कारोबार का मालिक (सफलता की कहानी)

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ग्रामीण युवक श्री दिनेश कुमार ने मालिक बनने का जो सपना वर्षों पहले देखा था, वह सरकार की आर्थिक मदद से हकीकत में तब्दील हो चुका है। जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बसई क्षेत्र में पहाड़ी की तलहटी में बसे छोटे से गांव हिम्मतपुर के दिनेश कुमार ने अपना सपना डिटर्जेंट पाउडर एवं नहाने का साबुन बनाने की मशीन लगाकर पूरा किया। दो साल पहले दिनेश दिहाड़ी मजदूर थे और ललितपुर जाकर मजदूरी करते थे। ज्यादातर समय बेरोजगार रहने से उनके सामने प्रायः घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता था। इस बेकारी और दूसरों के यहां काम करने की विवशता से निजात पाने के लिए वह स्वयं का कारोबार होने का सपना देखा करते थे, जो उन्हें सच होने में टेढ़ी खीर लग रहा था। अपने सपने को हकीकत में बदलने की तरकीब सोचते-सोचते उनके दिन बीत रहे थे। इस बीच दिनेश ने गांव में गणेश स्वसहायता समूह नाम से स्वसहायता समूह बनाकर मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत दो लाख रूपये की ऋण राशि, जिसमें 60 हजार रूपये की अनुदान राशि सम्मिलित है, से वाशिंग पाउडर एवं साबुन निर्माण की मशीन लगाकर इनके बहुआयामी कारोबार को शुरू किया, तब से हालात बदलने शुरू हो गए। इस कारोबार में रोजाना दस महिलाओं को काम दिया जा रहा है। इस समूह के जरिए दिनेश ने ना सिर्फ स्वयं को वाशिंग पाउडर एवं सावुन निर्माण व्यवसाय में स्थापित कर लिया है, बल्कि इससे हुई कमाई से उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर लिया है।
बसई क्षेत्र समेत करेरा, पिछोर, तालबेहट के तमाम हिस्सों में दिनेश के दीपाली डिटर्जेंट पाउडर की भारी मांग है। भले ही बड़ी कंपनियों के वाशिंग पाउडर के नक्शे पर इसे नहीं देखा जा सकता, पर गरीब एवं मध्यम वर्ग के वाशिंग पाउडर प्रेमी इससे अच्छी तरह परिचित हैं। बाजिव कीमत और क्वालिटी की वजह से यह वाशिंग पाउडर लोगों में लोकप्रिय बना हुआ है। अपने कारोबार से खुश दिनेश कहते हैं,‘‘ वाशिंग पाउडर कारोबार ने मेरा जीवन बदल दिया है। इसने मेरी आर्थिक स्थिति को संवार दिया है।‘‘ ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक श्रीमती संतमती खलको कहती हैं कि सरकारी मदद से ग्रामीण अंचल के घर-घर  में दिनेश के व्यवसाय की तरह लघु कुटीर उद्योग पनप रहे हैं।‘‘