सरसों की फसल के प्रमुख कीट एवं प्रबंधन
आनंद कुमार ओझा, प्रियंका सिंह और सोनू शर्मा
कृषि महाविद्यालय ग्वालियर
परिचय
सरसो रबी ऋतु में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है इसकी खेती सिंचित एवम असिंचित नमी वाले बारानी क्षेत्रो में कई जाती है सरसो का 4-5 किलोग्राम बीज एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त रहता है सरसों की उन्नत विधियों के द्वारा खेती करने पर औसतन 15-20 कुंटल प्रति हेक्टेयर बीज उपज प्राप्त होती है। सरोसों पर अनेक प्रकार के कीट समय समय पर आक्रमण करते है। इनमे से 4-5 कीट ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि इन कीटो को पहचान कर उचित रोकथाम की जाए ।
सरसों में लगने वाले प्रमुख कीट एवं उनके रोकथाम :
1. बालो बाली सुंडी (कातरा):
इस कीट की तितली भूरे रंग की होती है जो पत्तियों की निचली सतह पर समूह में अंडे देती है
नवजात सुंडिया आरम्भ में 8-10 दिन तक समूह में पत्तियो को खाकर छलनी कर देते है तथा बाद में अलग होकर पौधे की मुलायम पत्तियो शाखाओ तनो व फलियो की छाल आदि को खाती है जिससे पैदावार में भारी नुकसान होता है इस कीट का अधिक प्रकोप होने पर फिप्रोनिल 5 SC 25 ml 750 ml/ हेक्टेयर की दर से पानी मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
2.आरा मख्खी:
इस कीट की सुंडी अवस्था ही हानिकारक होती है इस कीट की सुंडिया काळा रंग की होती है जिनकी पीठ पर लम्बत धारिया होती है ।
छोटी सुंडिया पत्तियो के किनारे खाना शुरू कर मध्य शिरा तक खाती है । सुंडी 3-4 सप्ताह पुरानी फसल को अधिक नुकसान पहुचती है इस कीट के नियंत्रण हेतु फिप्रोनिल 25 EC 25ml या डेल्टामेथ्रिन 11 EC 25 ml 10 ml एक टंकी की दर से छिड़कव करे।
3.माहू:
यह कीट हल्के पीले रंग का होता है इसकी लंबाई 1-1.5 mm होती है इसका प्रौढ व शिशु पत्तियो की निचले सतह और फूल और टहनियों पर समूह में पाए जाते है। यह पौधे के विभिन्न भागों से रस चूसते है उग्र प्रकोप होने से पौधे सूख जाते है तथा फलिया नही बनती
इस कीट के प्रकोप से उपज में 90% तक तथा तेल में 10% तक कि कमी होती है
इस कीट के नियंत्रण के लिए 5 ग्राम थायमेथोकसाम 25 WG या थाकलोरप्रिद 21.7 SC की 8ml मात्रा प्रति टंकी की दर से छिड़कव करें।