विश्व सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन (आध्यात्म विभाग) द्वारा आयोजित

    विश्व सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन (आध्यात्म विभाग) द्वारा आयोजित कार्यक्रम स्थानीय शासकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय धार के सभागृह में युवाओं को संबोधित करते हुए राजाराम बड़ोदिया अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा की अधिकारों की सुरक्षा चाहते हैं तो मौलिक कर्तव्यों का पालन सर्वौपरि है, सामाजिक न्याय व्यवस्था को अक्षुण्ण रखना है तो प्रत्येक नागरिक को मूल कर्तव्यों का पालन स्वयंमेव करना होगा।  उन्होनें  कहा कि मुगल शासन के समय से केवल राजा का तंत्र होता था कोई लिखित संविधान नहीं था किंतु ब्रिटिश काल ने अपनी जड़े मजबूत करने हेतु संविधान भादवि प्रारंभ की जिससे आम आदमी के मन में विश्वास जागा उसी न्याय व्यवस्था का संवाहन हमारे स्वतंत्र आंदोलनकारियों ने किया। 1935 से हमारे संविधान का निर्माण लिखित में प्रारंभ हुआ संवैधानिक संसाधनों के माध्यम से अक्टूबर 1946 में संविधान सभा का गठन कर लिया था। उसमें 389 सदस्यों को संविधान निमार्णार्थ अनेक बैठक ली जिसमें पंडित नेहरू, डॉ. अम्बेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शामिल थे। 26 जनवरी 1949 मसौदा तैयार कर राष्ट्रपति को सौंपा गया।
    जिस  देश में एक सुई भी नहीं बनती थी वह आज मंगल ग्रह मिसाईल के क्षेंत्र में दबदबा बना रहा है इसके पीछे तथ्य कि राजा के अधिकार आज आम नागरिकों के पास हैं, इसके विकास की दिशा की बागडोर इस देश की जनता के पास है हमें बिना भेदभाव मौलिक अधिकार यथा आजादी, न्याय व्यवस्था, धर्म का पालन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकारों का सम्मान करना चाहिए भारत के कानून इसके संबंधित के अनुक्रम ही है जो नदियों से मिलकर समुद्र मिलता ठीक वैसी ही कई कानूनो का समुद्र हमारा संविधान है। सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि यदि कोई कानून संवैधानिक नही है तो उसे बदल, न्याय, विधायिका कार्यपालिका के समन्वय से ही इस देश की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो रही है, मौलिक कर्तव्यों के प्रति सजग मानकर ही प्रारंभ में कर्तव्यों का समावेष नही किया गया था किन्तु 42 वें संशोधन के माध्यम से हमारे नागरिकों के मौलिक कर्तव्य के जोड़ा गया। उन्होने कहा कि संविधान पर विश्वास करे, एकता अखंडता बनाए रखने के लिए कार्य करें , देश के प्रत्येक नागरिक का सम्मान करना, भेदभाव धर्मजाति/नस्ल आधार पर नही करना चाहिए, पर्यावरण को सुरक्षित रखना चाहिए, स्वच्छता का वातावरण तैयार हुआ है उसे अक्षुण्ण रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होनें सभी को सामाजिक