नरवाई जलाना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा
नरवाई जलाना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा

 



ग्वालियर | जिले में गेहूँ की फसल काटने के उपरांत पौध अवशेषों को जलाने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था द्वारा फसल कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को जलाने पर ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पर्यावरण मुआवजा वसूलने के साथ भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत दण्डनीय कार्रवाई की जायेगी।
    जिला दण्डाधिकारी श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह द्वारा जारी आदेश के तहत जिले में गेहूँ की फसल काटने के उपरांत पौध अवशेष को जलाना पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। ऐसा करने पर संबंधित व्यक्ति एवं संस्था के विरूद्ध ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पर्यावरण मुआवजा देने के साथ-साथ आदेश के उल्लंघन करने पर भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत दण्डनीय होगा। जारी आदेश में उल्लेख किया गया है ‍िक पर्यावरण मुआवजा निर्धारण तथा अर्थदण्ड हेतु संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दण्डाधिकारी को अधिकृत किया गया है। दो एकड़ या उससे कम भूमि धारक पर 2 हजार 500 रूपए प्रति घटना, 2 एकड़ से अधिक लेकिन 5 एकड़ से कम भूमि धारक से 5 हजार रूपए प्रति घटना एवं 5 एकड़ से अधिक भूमि धारक से 15 हजार रूपए प्र‍ति घटना के मान से राशि वसूली की कार्रवाई की जायेगी।
    किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक ने बताया कि जिला दण्डाधिकारी ग्वालियर के आदेशानुसार अब गेहूँ की फसल काटने के उपरांत पौध अवशेषों को जलाना पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। अब हार्वेस्टर मशीन संचालकों को यह आवश्यक होगा कि वे हार्वेस्टर मशीन के साथ-साथ भूसा बनाने की मशीन (स्ट्रीरीपर) लगाकर फसल की कटाई के बाद अवशेष स्थल पर ही भूसा बनाकर अवशेष का निपटान करें। प्रत्येक कम्बाईन हार्वेस्टर संचालक फसल कटाई प्रारंभ करने के पूर्व कृषि यंत्री रेसकोर्स रोड़ ग्वालियर के कार्यालय में अपना पंजीयन करना होगा। बिना पंजीयन के स्ट्रीरीपर का उपयोग करते पाए जाने पर इसकी सूचना संबंधित पुलिस थाने, ग्राम पंचायत निगरानी अधिकारी एवं पंचायत सचिव को दें। हार्वेस्टर मशीन एवं स्ट्रीरीपर (भूसा बनाने का संयंत्र) से भूसा बनाने के दौरान निकलने वाली चिंगारी से आगजनी की घटना को रोकने हेतु मशीन संचालक अग्नि सुरक्षा संयंत्र के साथ-साथ आग बुझाने के लिये रेत एवं पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करेगा। उन्होंने किसान भाईयों से आग्रह किया है कि गेहूँ के अवशेषों को खेतों में न जलायें। बल्कि अवशेषों से मशीन से भूसा बनाकर जानवरों हेतु उपयोग करें।